आज का सफर | मनाली यात्रा की कहानी | रोहतांग की बर्फ़ में मस्ती

मनाली एक धरती का स्वर्ग है। यहाँ हर यात्री आना चाहता है, और क्यों न हो, यह जगह अपने सुंदर नज़ारों और हर मौसम में मिलने वाली बर्फ़ के लिए प्रसिद्ध है। मनाली में हर महीने बर्फ़ की चादर बिछी होती है, जो इसे और भी आकर्षक बनाती है। चाहे आप किसी भी समय आएं, आपको यहाँ बर्फ से ढके पहाड़ों का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा।

हालाँकि, ठंड के मौसम में मनाली की यात्रा कुछ कठिनाइयों के साथ आती है। ठंड के समय यहाँ कई स्थानों पर रेड अलर्ट घोषित किया जाता है और बर्फबारी के कारण कुछ इलाकों में जाना मना होता है। लेकिन बर्फ की ये चुनौतियाँ भी यात्रियों को यहाँ आने से रोक नहीं पातीं, क्योंकि यहाँ का वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य उन्हें हर कठिनाई को पार करने के लिए प्रेरित करता है।

यात्रा की योजना और दोस्त का साथ

जुलाई का महीना है और मैं और मेरा दोस्त अन्नू चंडीगढ़ में हैं। हम लोग मनाली जाने की योजना बना रहे हैं कि बस से चलें या फिर डायरेक्ट टैक्सी ठीक रहेगी। अभी हम इसपर चर्चा कर ही रहे हैं कि हमें हमारा जूनियर याद आता है, जो हमारे होस्टल में रूममेट हुआ करता था। इसका नाम रिंकू है। रिंकू दिल्ली में रहता है। हम रिंकू को कॉल करते हैं और उसे मनाली जाने के बारे में बताते हैं और उसे भी चलने के लिए पूछते हैं। रिंकू भी मान जाता है और इस प्रकार हमारी मनाली जाने की तैयारी शुरू हो जाती है।

हम लोग आज शाम को चंडीगढ़ से निकलने वाले हैं और उसके लिए हमने फाइनल बस बुक कर ली है, जो कि सेमी-स्लीपर और वोल्वो है। बस आज रात को 9:30 बजे की है जो हमें प्रातःकाल मनाली पहुँचाने वाली है। रिंकू हमें सीधे बस अड्डे पर ही मिलने वाला है। वो दिल्ली से समय पर आ जाएगा। शाम हुई और समयानुसार हम लोग बस अड्डे के लिए निकल रहे हैं। हमें रिंकू की कॉल 10 मिनट पहले ही आ चुकी है कि वह बस अड्डे पर पहुँच गया है, तो हमने उसे कहा कि इंतजार करे क्योंकि हम लोग भी निकल रहे हैं।

चंडीगढ़ से मनाली: बस की यात्रा और हमारी मस्ती

करीब 8 बजे हम लोग भी पहुँच जाते हैं क्योंकि योजना के हिसाब से बस 9:30 बजे निकलेगी और हमें अभी खाना भी खाना है, तो इसलिए हम थोड़ा जल्दी ही आ गए हैं। हम रिंकू को कॉल करते हैं। रिंकू कॉल नहीं उठाता और तभी हमें पीछे से आवाज आती है, तो हमने देखा रिंकू बैठा हुआ है। हम रिंकू से मुलाकात करते हैं और खाने के लिए ढाबे पर चले जाते हैं। ढाबा बस अड्डे के पास ही एक बाजार में है। हम तीनों मज़े से खाना खाते हैं और 9 बजे तक खाना हो जाता है। हम ढाबे से निकलकर फिर से बस अड्डे पर खड़े हो जाते हैं, बस के इंतजार में।

9:30 बजे पर बस नहीं आती है, तो मैं बस ड्राइवर को कॉल करता हूँ। ड्राइवर बताता है कि बस थोड़ी देर से चल रही है और 1 घंटे बाद आएगी। फिर क्या था, हम सड़क के किनारे घास के मैदान में बैठ जाते हैं और बातें करने लगते हैं। बातों में कब 1 घंटा निकल गया, हमें अहसास ही नहीं हुआ, क्योंकि हम तीनों बहुत दिनों बाद मिले हैं। तभी अन्नू मुझे ड्राइवर को कॉल करने के लिए कहता है। मैंने कॉल किया तो ड्राइवर कहता है कि बस 20-25 मिनट और लगेगा। हम तीनों फिर से इंतजार करने लगते हैं।

तभी मैं वीडियो बनाना शुरू कर देता हूँ क्योंकि मैंने इस पूरी यात्रा का वीडियोग्राफी करने का सोचा है और अन्नू को भी इस बारे में पता है। हम तीनों वीडियो में आना चाहते हैं, तो अब हमें कोई और चाहिए जो हमारा कैमरा पकड़ सके। हमने एक राहगीर को पूछा तो उसने हां बोल दिया और हम वीडियो बनाते हैं। वीडियो बहुत अच्छी बनती है, तो मैं राहगीर को धन्यवाद बोलता हूँ। फिर हमारी बातचीत होती है और हमें पता चलता है कि वह प्रोफेशनल वीडियोग्राफर है और पंजाबी गानों में भी वीडियोग्राफी कर चुका है। अभी वह चंडीगढ़ किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में आया है। थोड़ी देर बाद वह चला जाता है और हमारा बस का इंतजार जारी रहता है।

करीब 11:30 बजे बस आती है और अंततः हम लोग बस में बैठ जाते हैं। बस की सीट कोई बहुत ज्यादा सुविधाजनक नहीं है और बस को बुक करते समय मुझे सेमी-स्लीपर का कोई आइडिया नहीं था। पर अब जैसी भी है, हमें इसी से मनाली पहुँचना है। थोड़ी देर बाद ही बस की लाइट बंद हो जाती है, तो मैं बोलता हूँ कि लाइट जलाओ, मुझे वीडियो बनानी है। ड्राइवर लाइट जलाते हुए कहता है कि सर, 5 मिनट बाद फिर से लाइट बंद कर दूँगा क्योंकि लोगों को सोना है, नहीं तो ये लोग मुझे बोलेंगे। मैं ड्राइवर से कहता हूँ कि कोई बात नहीं, आप बंद कर दीजिए, मैं भी लोगों को परेशान नहीं करना चाहता। ड्राइवर सहमति में अपना सिर हिलाता है और लाइट बंद कर देता है। मैं और अन्नू की सीट साथ-साथ है और रिंकू की हमसे आगे। हम आइडिया लगाते हैं कि रिंकू हमारी वीडियो बनाएगा और अन्नू मोबाइल की टॉर्च जलाएगा और ऐसे हम बस में वीडियोग्राफी करते हैं।

थोड़ी देर बाद हम तीनों भी सो जाते हैं।

मनाली की खूबसूरत सुबह: पहाड़ों की गोद में

मेरी बीच में 1-2 बार आँख खुली, पर बाहर अंधेरा होने की वजह से कुछ दिखता ही नहीं है, तो मैं फिर से सो जाता हूँ। अचानक मेरी आँख खुलती है, समय तो मैं नहीं देखता हूँ, पर ये प्रातःकाल का वह समय है जब रात और दिन आपस में मिलते हैं और आपस में अपनी शिफ्ट चेंज करते हैं। रात मानो दिन से बोल रही हो कि मैं जा रही हूँ और अब तुम्हारा समय है। यह वो समय है जब आप किसी को 15-20 फुट की दूरी पर तो देख सकते हैं कि कोई आ रहा है, पर आपको चेहरा ठीक से नहीं दिखेगा।

देखते ही देखते रोशनी बढ़ती जाती है और मुझे हिमाचल की सुंदरता साफ-साफ दिखाई देने लगती है। वाह! दिन की क्या शुरुआत हुई है! ऐसी खूबसूरत सुबह देखने के लिए तो मैं रोज़ इतनी सुबह उठ सकता हूँ। एक तरफ बड़े-बड़े पहाड़ हैं, तो दूसरी तरफ व्यास नदी का दूध जैसा सफेद पानी और बीच-बीच में सफेद पत्थर, जो ऐसे लग रहे हैं मानो दूध में पड़ी मलाई। क्या दृश्य है!
इस खूबसूरती ने मेरे दिल में एक नई ऊर्जा भर दी है, जैसे प्रकृति ने मुझे अपने आंचल में समेट लिया हो। मैं इस नज़ारे में खोया हुआ था कि अचानक हम मनाली बस अड्डे पहुँच जाते हैं।

मनाली में होटल और टैक्सी से रोहतांग का सफर

करीब 7:30 बज रहे हैं। हम तीनों को पहले होटल ढूंढना है। जैसे ही हम बस से बाहर निकलते हैं, कई टैक्सी वाले हमसे पूछने लगते हैं, “कहाँ जाओगे, सर?” हम एक टैक्सी वाले से बात करते हैं और उसे बताते हैं कि हमने अभी तक होटल नहीं बुक किया है। वो कहता है कि उसके जानने में कुछ अच्छे होटल हैं, और अगर हमें पसंद आए तो वहीं बुक कर सकते हैं। मैंने हाँ कर दी, और वो हमें एक होटल में ले जाता है।

हमें होटल का कमरा पसंद आ जाता है, और हम एक दिन के लिए बुक कर लेते हैं। अगर हमें अच्छा लगा तो एक दिन और रुकने का मन बना लेते हैं। होटल के रिसेप्शन पर मैंने पूछा कि टैक्सी कहाँ मिलेगी, तो होटल मैनेजर ने बताया कि अगर हम चाहें तो वो टैक्सी का प्रबंध कर सकते हैं। टैक्सी पूरे दिन के लिए बुक होगी, जो शाम को हमें होटल वापस छोड़ देगी।

मैंने पूछा कि कहाँ-कहाँ घूम सकते हैं। उसने बताया कि जुलाई का महीना है और इस समय रोहतांग खुला रहता है, जहाँ सारे स्नो स्पोर्ट्स होते हैं। टैक्सी हमें रोहतांग ले जाएगी, उसके बाद अटल टनल से होते हुए सोलांग वैली और फिर वापस होटल। मैंने कहा, “बस?” तो होटल मैनेजर ने कहा, “आपको इतना ही घूमने में दिन निकल जाएगा।”

मैंने पूछा कि मुझे कब तक बताना पड़ेगा टैक्सी के लिए, तो उसने कहा, “आप लोग कमरे में जाएँ, आराम से तैयार होकर आ जाइए, टैक्सी तुरंत मिल जाएगी, होटल की ही है।” मैंने कहा ठीक है और हम लोग कमरे में चले जाते हैं।

हम तीनों जल्दी से तैयार होकर होटल रिसेप्शन के पास पहुँच जाते हैं। होटल मैनेजर हमारे लिए टैक्सी बुलाता है और इस प्रकार हम मनाली की यात्रा शुरू करते हैं।

जैसा कि सभी को पता है, मैं हमेशा ड्राइवर की साइड वाली सीट पर बैठता हूँ, और अन्नू और रिंकू पीछे वाली सीट पर बैठे हैं। टैक्सी में बैठते ही मैंने ड्राइवर से बात करना शुरू किया। सबसे पहले मैंने उनका नाम पूछा और बताया कि हम रोहतांग पहुँचने में कितना समय लेंगे। ड्राइवर ने कहा कि लगभग 1:30 से 2 घंटे लगेंगे। उन्होंने कहा कि हमें बर्फ के लिए कपड़े रास्ते में ही लेकर जाने होंगे, जो किराए पर मिलेंगे, और दुकान से हमें स्नो स्पोर्ट्स के टिकट भी लेने पड़ेंगे।

मैंने पूछा, “क्यों हमें अलग से कपड़े क्यों लेने पड़ेंगे?” तो ड्राइवर ने बताया कि ऊपर पहाड़ पर बर्फ है और वहाँ बहुत ज्यादा ठंडी होगी, इसलिए सामान्य कपड़े और जूते काम नहीं करेंगे। हमने कहा ठीक है। फिर मैंने ड्राइवर से पूछा कि क्या ऑनलाइन पेमेंट हो जाएगी या हमें कैश देना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि हमें कैश ही देना पड़ेगा। मैंने ड्राइवर को रास्ते में एटीएम के पास रोकने को कहा, और मैंने पैसे निकाले।

थोड़ी देर बाद हम दुकान पर पहुँच जाते हैं जहाँ से हमें टिकट और कपड़े लेने हैं। हमने बर्फ की पोशाक ली, जिसमें तैराकी के जूते, ऊनी मोज़े, दस्ताने और जैकेट-लोअर शामिल हैं। ऊनी टोपी हमारे लिए विकल्प में है, जो किराए पर नहीं मिलती, इसलिए हम उसे खरीद लेते हैं जिस पर “कुल्लू-मनाली” लिखा हुआ है। हमने ये टोपी मनाली की याद में खरीदी है। सारा सामान लेकर हम वापस टैक्सी में बैठ जाते हैं और अपनी मंजिल की ओर बढ़ जाते हैं।

मनाली

हमने पंजाबी गाने लगाते हुए टैक्सी में डांस करते हुए जाना शुरू किया। तभी हमें पहली बार बर्फ का पहाड़ दिखाई देता है, जिसे देख कर हम तीनों चिल्लाते हैं। ड्राइवर बताता है कि अभी जुलाई का महीना है, इसलिए बर्फ बहुत पिघल गई है। हम रोहतांग जा पा रहे हैं, नहीं तो रोहतांग बंद होता है और तब सभी स्नो स्पोर्ट्स सोलांग वैली में होते हैं।

थोड़ी देर बाद हमें पैराग्लाइडिंग करते हुए लोग दिखाई देते हैं। ड्राइवर बताता है कि थोड़ी ऊँचाई पर पैराग्लाइडिंग का स्पॉट है, जहाँ से हम लोग पैराग्लाइडिंग कर सकते हैं। दरअसल, मैं पहले ही पैराग्लाइडिंग कर चुका हूँ और अभी नीचे बर्फ भी नहीं है, तो मैं मना कर देता हूँ। लेकिन अन्नू और रिंकू ने अभी तक पैराग्लाइडिंग नहीं की है, इसलिए वो दोनों पैराग्लाइडिंग के लिए लाइन में लग जाते हैं। मैं यहीं पर उनके आने का इंतज़ार कर रहा हूँ और साथ ही वीडियो भी बना रहा हूँ। हमें लगभग एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है क्योंकि भीड़ बहुत ज्यादा है।

अन्नू और रिंकू के आने के बाद हम फिर से आगे बढ़ते हैं। अब हम सभी को भूख लग गई है और रास्ता बहुत लंबा लगने लगा है। मैंने ड्राइवर से फिर पूछा कि अब कितनी दूर हैं, तो उन्होंने कहा कि 15 मिनट और लगेंगे। अचानक मुझे सड़क के बगल में बर्फ दिखाई देती है, और हममें फिर से नई चेतना आ जाती है। मैं ड्राइवर से टैक्सी को थोड़ी बर्फ के पास लाने के लिए कहता हूँ, तो वो टैक्सी रोक देते हैं और कहते हैं, “जाकर देख के आओ।”

मैं तुरंत बाहर जाता हूँ और सड़क के किनारे पड़ी हुई बर्फ को हाथों में उठाता हूँ। यह वो पल है जब मैंने अपनी पूरी जिंदगी में पहली बार प्राकृतिक बर्फ को छुआ है, क्योंकि इससे पहले मैं कभी ऐसी जगह नहीं गया जहाँ बर्फबारी होती हो। थोड़ी ही देर बाद हम रोहतांग पहुँच जाते हैं।

रोहतांग: बर्फ़ में मज़ेदार लम्हे

यहाँ चारों तरफ सिर्फ टैक्सी ही टैक्सी दिखाई दे रही हैं। मैंने ड्राइवर से पूछा कि बर्फ कहाँ है, तो उसने बायीं ओर ऊपर इशारा करते हुए कहा कि बर्फ ऊपर है और वहाँ तक हमें पैदल ही जाना पड़ेगा। फिर ड्राइवर ने हमें जल्दी से कपड़े बदलने के लिए कहा और साथ ही यह भी कहा कि जल्दी से ऊपर जाओ और बर्फ का मज़ा लो। हम तीनों जल्दी से कपड़े बदलते हैं। मैंने ड्राइवर से पूछा, “आप भी वापस जा रहे हो क्या?” तो उन्होंने कहा, “नहीं, वो हमें शाम को यहीं मिलेंगे।” पर दूसरी तरफ, क्योंकि इस तरफ टैक्सी खड़ी नहीं कर सकते हैं। मैंने कहा, “ठीक है,” और हम बर्फ की ओर चल दिए।

अभी हम शायद 14,000 फीट की ऊँचाई पर हैं, ऐसा ड्राइवर ने बताया है। हवा बहुत तेज़ चल रही है। अभी यह कोई 12 बज रहे होंगे, पर फिर भी हमें ठंड महसूस हो रही है। हम फैसला करते हैं कि पहले कुछ खाएंगे और फिर स्पोर्ट्स करेंगे। हमने मैगी और चाय ऑर्डर की। अन्नू को ऑमलेट भी खाना है, तो उसने वो भी खाया। ये सब खाने के बाद हमें राहत मिली और अब हम बर्फ से खेलने के लिए बिलकुल तैयार हैं। यहाँ पर हम लोग कुल 3 स्पोर्ट्स करने वाले हैं, जो कि स्कीइंग, ट्यूब स्लाइड राइड और याक राइड हैं।

हमने देखा कि दो तरफ बर्फ की दीवार की तरह बनाई गई है और उसके बीच में कुछ गाइड लोगों को पकड़कर स्कीइंग करवा रहे हैं, तो मैंने सोचा शायद शुरुआत में ट्रेनिंग देते हैं और बाद में खुला में स्कीइंग करने देंगे। हम तीनों भी स्कीइंग करने जाते हैं, यकीन मानो यह जितना आसान दिखता है उससे कई ज्यादा कठिन है। और अब मुझे समझ आया कि क्यों गाइड लोगों को पकड़कर स्कीइंग करवा रहे हैं, क्योंकि हम ज़रा ज़रा सा बढ़ते ही फिसलकर गिर जाते हैं। मैं गाइड से पूछता हूँ कि हमें इतने में ही करवाओगे या फिर बाहर भी करने दोगे, तो उन्होंने कहा कि अगर बाहर छोड़ दिया तो कभी वापस नहीं आओगे और सीधे नीचे चले जाओगे। इसके बाद हम सभी जोर जोर से हंसने लगते हैं। मैं भी कहता हूँ कि आप सही बात बोल रहे हो, यहाँ ही सही से नहीं हो पा रहा है तो अगर बाहर गए तो सच में नीचे ही चले जाएंगे। गाइड ने हमें यह भी बताया कि इसके लिए कई महीनों की ट्रेनिंग लगती है, तब जाकर लोग सीख पाते हैं।

हम तीनों ने बहुत मज़े किए, कई बार फिसलकर गिरे और उठे। रिंकू तो एक बार में ही हिम्मत हार गया, अन्नू ने भी थोड़ा प्रयास किया पर उसे भी ना हो पाया। मैंने 2-3 चक्कर लगाए, फिसला पर मैं इन दोनों से बहुत अच्छा कर रहा हूँ ऐसा गाइड ने कहा। थोड़ी देर बाद हम ट्यूब स्लाइड राइड करने जाते हैं, जिसमें ट्रक के ट्यूब की तरह एक हवा भरे ट्यूब को एक रस्सी से बांधते हैं, फिर उस ट्यूब पर ज्यादा से ज्यादा 2 लोगों को बैठाते हैं और फिर ट्यूब को फिसला देते हैं। मैं और अन्नू साथ जाते हैं और रिंकू हमारे पीछे आता है। अब याक राइड बची हुई है जो हम सबसे अंत में करने वाले हैं क्योंकि उसके लिए हमें नीचे जाना पड़ेगा। अब हम बर्फ में फिसलने वाले हैं, जिसमें हमें बहुत मज़ा आ रहा है। हम लोग बर्फ में बहुत मस्ती करते हैं। जैसा हम फिल्मों में देखते हैं कि बर्फ में गिरकर लोग लुढ़कते हुए जा रहे हैं, बिल्कुल वैसा ही हमारे साथ भी होता है, पर हमें बहुत मज़ा आ रहा है। धीरे-धीरे शाम हो जाती है और भीड़ कम होने लगती है। एक बार लुढ़कते लुढ़कते हम लोग मस्ती में बहुत नीचे चले जाते हैं और वापस ऊपर आने में बहुत हालत खराब हो जाती है क्योंकि अब तक हम काफी थक चुके होते हैं।

हम नीचे आते हैं जहाँ हमें टैक्सी ड्राइवर ने मिलने के लिए कहा है। हमें टैक्सी मिल जाती है और हम लोग जल्दी से कपड़े बदलकर टैक्सी में बैठ जाते हैं। ड्राइवर हमसे पूछते हैं कि हमने सारे स्पोर्ट्स किए तो हमने बताया कि याक राइड नहीं की। तब ड्राइवर ने एक याक वाले को बुलाया और कहा कि इनकी याक राइड रह गई है, और हमने उसे वह पर्ची दिखाई जो हमें गाइड ने दी थी। इस पर्ची के साथ हमें याक की सवारी करने को मिलती है। अंततः हमने सारे स्पोर्ट्स किए हैं, बर्फ के साथ बहुत मस्ती की है और बहुत मज़े किए हैं।

मनाली की शाम और कंपकंपाती ठंड

ठंड बहुत ज्यादा होने लगी है, हमने टैक्सी के शीशे बंद कर रखे हैं, तभी थोड़ा राहत मिलती है, वरना जैसे ही हम बाहर निकलते हैं, ठंड बर्दाश्त नहीं हो रही है। ऐसी ठंड उत्तर भारत में दिसंबर या जनवरी के समय होती है, जैसी यहाँ अब जुलाई में हो रही है। पर शायद हम इसी लिए यहाँ आए हैं, तो मैं इस पल को पूरी तरह जी रहा हूँ। थोड़ी देर बाद अन्नू और रिंकू सो जाते हैं, पर मैं जागता हूँ क्योंकि मुझे वीडियो बनानी है और अभी अटल टनल आने वाला है।

अटल टनल शुरू होने से पहले हमें एक झरना जैसा दिखाई देता है जो सड़क के किनारे है। ड्राइवर टैक्सी रोकते हुए कहता है कि हम लोग तस्वीरें ले सकते हैं। हम तीनों बाहर जाते हैं, हालांकि ठंड बहुत ज्यादा होने की वजह से जल्दी-जल्दी तस्वीरें लेते हैं क्योंकि झरने का पानी बहुत ठंडा है, जो बाद में पता चलता है कि ये बर्फ ही पिघलकर आ रही है और इसकी बौछार हमें और ठंडी महसूस करवा रही है। हम जल्दी से टैक्सी में आकर बैठ जाते हैं।

अटल टनल दिखाई देता है और हम उसके अंदर प्रवेश करते हैं। ड्राइव हमें बताता है कि यह टनल लगभग 12 किमी का है और हम यहाँ पर ज्यादा से ज्यादा 60 किमी की रफ्तार में गाड़ी भगा सकते हैं। इस टनल की वजह से अब हमें 45 किलोमीटर कम चलना पड़ता है। अटल टनल पार करने के बाद हम सोलंग वैली पहुँचने वाले होते हैं। अब अंधेरा होने को है और अभी सोलंग वैली में कुछ खास नहीं है क्योंकि सोलंग वैली ठंडी में अच्छी होती है, तो हमने ड्राइवर को कहा कि हम बाहर नहीं निकलेंगे, बस आप बता देना कि हम कब सोलंग वैली पहुँच गए हैं।

सोलंग वैली पहुँचते ही ड्राइवर ने मुझे बताया और मैंने टैक्सी के अंदर से ही कुछ तस्वीरें लीं और इस प्रकार हमारी योजना के अनुसार आज के दिन का सफर खत्म होता है। अन्नू और रिंकू के लिए दिन पहले ही खत्म हो चुका है क्योंकि ये दोनों पिछले 30 मिनट से सो रहे हैं।

करीब 7 बजे हम होटल वापस पहुँच जाते हैं। मैंने ड्राइवर को धन्यवाद कहा और बोला कि आज हमें बहुत मज़ा आया और अगर कल हमें जरूरत हुई तो आप ही आना।

होटल पहुँचते ही हमने थोड़ा आराम किया और फिर खाने के लिए बाहर चले गए। हमने पता किया कि यहाँ कहाँ अच्छा खाने को मिलता है, तो पता चला कि पास में ही मॉल रोड का बाजार है जहाँ अच्छे-अच्छे रेस्टोरेंट हैं। हम मॉल रोड गए और एक रेस्टोरेंट में खाने बैठ गए। हम लोग खाने का इंतज़ार कर रहे हैं और साथ ही साथ आज पूरे दिन की बातें कर रहे हैं। फिर हम सोचते हैं कि कल के लिए क्या बचा है क्योंकि हमारे हिसाब से सारे एडवेंचर हमने आज ही कर लिए हैं।

मनाली से लौटते समय की अनकही बातें

कल दरअसल हमारी कुल्लू जाने की योजना होती है, पर हमें पता चलता है कि वहाँ भी यही सब होता है, तो हमने सोचा अब यहाँ और कुल्लू में सब एक ही जैसा है, तो कोई फायदा नहीं है। अंत में हम इस फैसले पर आते हैं कि हम कल सुबह यहाँ से घर के लिए निकल जाएंगे। मैं ऑनलाइन बस देखता हूँ, पर कोई भी बस कल सुबह नहीं जाएगी। अधिकांश बसें रात को ही निकलती हैं, चाहे वो चंडीगढ़ से मनाली हो या मनाली से चंडीगढ़। फिर मैंने सरकारी बस देखी तो सुबह 11 बजे की एक बस है जो मनाली बस अड्डे से जाने वाली है। यह बस हमारे लिए बिल्कुल सही है क्योंकि कल सुबह ही हम होटल से भी चेकआउट कर सकते हैं और मनाली बस अड्डा हमसे थोड़ी ही दूरी पर है। मैंने अन्नू और रिंकू से पूछा, तो सबने हाँ में सिर हिलाया और मैंने टिकट करा दिया। खाना खाकर हम लोग होटल जाकर सो जाते हैं क्योंकि हमें थकान भी बहुत है और कल सुबह बस भी पकड़नी है।

सुबह होती है और हम तीनों जल्दी तैयार होकर मनाली बस अड्डा पहुँच जाते हैं। बस अड्डे पर हमें बस का पता चलता है, जिसे देखकर हम बहुत मायूस हो जाते हैं क्योंकि सीट एकदम लकड़ी जैसी है और सफर लंबा है। पर फिर भी हमें इसी बस से ही जाना पड़ेगा क्योंकि और कोई विकल्प नहीं है। मैं और रिंकू एक साथ बैठे हैं और अन्नू आगे की सीट पर बैठा है क्योंकि मुझे और अन्नू दोनों को ही खिड़की चाहिए होती है। थोड़े समय बाद बस चलती है और मैं उसी सीट पर लेट जाता हूँ और सो जाता हूँ। मेरे पैर रिंकू की गोद में रखे हुए हैं और रिंकू बैठे-बैठे ही सो रहा है। अन्नू आगे की सीट पर सोया हुआ है।

रास्ते में अनगिनत लोग आते हैं और अपनी-अपनी मंजिल आने पर उतर जाते हैं, पर हमारी मंजिल सबसे अंत में है। मैं सो ही रहा होता हूँ कि अचानक मेरी आँख खुलती है और मैं देखता हूँ कि एक तरफ खाई है और दूसरी तरफ पहाड़, और सामने एक मोड़ है। सामने से बस आ रही है, तो ड्राइवर जैसे हमारी बस को मोड़ता है, तो एक समय के लिए लगता है कि आज ही आखिरी समय है। मैं रिंकू को जगाता हूँ और दिखाता हूँ कि हमारा ड्राइवर कैसे बस चला रहा है, तो हमारी बातें सुनकर हमारे पीछे बैठे एक आदमी बोलता है कि यहाँ पर सभी लोग ऐसे ही बस चलाते हैं और इनका यह रोज़ का काम है, तो हमें डरने की जरूरत नहीं है।

दरअसल, चंडीगढ़ से हम लोग रात में आए होते हैं और इसलिए हमें चंडीगढ़ से मनाली जाते समय पता नहीं चलता है कि हमारे एक तरफ खाई है। इस समय तो मन में यही चल रहा है कि कैसे भी सही-सलामत घर पहुँच जाऊं। पर धीरे-धीरे रास्ता अच्छा होता जाता है और अंततः हाईवे भी मिल जाता है। कुछ भी इस रास्ते में मज़ा बहुत आता है। इस सफर में हम न जाने कितने पहाड़ पार करते हैं, पर हमें अभी तक हाईवे नहीं मिला है। हमने दिन का सफर चुना और यह हमारे लिए बहुत अच्छा रहता है क्योंकि रास्ते का रोमांच तो हमारा रह ही जाता है।

करीब 9 बजे हम चंडीगढ़ पहुँच जाते हैं और इस तरह हमारा यह सफर अंत होता है।

अनुभव

इस सफर में हमने बहुत सारे नए अनुभव किए। पहली बार प्राकृतिक बर्फ को छुआ और फिर हिमालय के पहाड़ों के रास्ते ऊपर जाना। पहाड़ों पर बैठकर मैगी खाना। 14,000 फीट की ऊँचाई पर ऑक्सीजन कम होने का असर देखना। बर्फ से लदे पहाड़ों को बादलों से छुपा हुआ देखना। बर्फ में फिसलना, गिरना, उठना और फिर से फिसलना। याक की सवारी करना। व्यास नदी का सफेद पानी देखना। अटल टनल, जो दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। जुलाई के मौसम में भी कांपा देने वाली ठंड। मनाली के मोमोज़। दोस्तों के साथ मस्ती। अनगिनत पहाड़ों और लोगों का मिलना और बिछड़ना। ये सब एक अद्वितीय अनुभव है जो हमें सिर्फ नई-नई जगह पर घूमने से ही मिल सकता है।

सुझाव

  • स्थानीय भोजन: मनाली में स्थानीय भोजन का आनंद लें, जैसे कि मैगी और आलू-टमाटर की सब्जी। ये ठंड में आपको गर्माहट देंगे।
  • वीडियोग्राफी: अपनी यात्रा के हर पल को कैद करें। खासकर बर्फ में मस्ती करते हुए। आपके अनुभवों को शेयर करने के लिए ये बेहतरीन सामग्री होगी।
  • समय प्रबंधन: यात्रा के समय का सही प्रबंधन करें। यदि आप बाहर जाकर एडवेंचर करने का सोच रहे हैं, तो सुबह जल्दी निकलें ताकि आप ज्यादा से ज्यादा गतिविधियों का आनंद ले सकें।
  • स्थानीय लोगों से बातचीत: ड्राइवरों और स्थानीय लोगों से बातें करें। उनसे मार्गदर्शन और सुझाव लेकर आप अधिक जानकारी और अच्छे अनुभव हासिल कर सकते हैं।
  • सुरक्षा का ध्यान रखें: बर्फ में खेलते समय सुरक्षा का ध्यान रखें। गाइड की बातों का पालन करें और आवश्यक सावधानियाँ बरतें।
  • सामान्य तैयारी: पहाड़ों की ठंड और मौसम के बारे में पहले से जान लें। उचित कपड़े और सामान लेकर चलें।
  • समुदाय का हिस्सा बनें: स्थानीय बाजारों में घूमें और वहां की संस्कृति का अनुभव करें। इससे आपको मनाली की असली खूबसूरती का पता चलेगा।

अन्य लेख:

इसके अतिरिक्त, मैंने कई अन्य यात्राएँ की हैं जैसे कि एक सोलो बाइक ट्रिप और मुरुदेश्वर की यात्रा। आप इन यात्रा अनुभवों को भी पढ़ सकते हैं।

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